नारी हूं मैं
नारी हूं मैं
माना की आदत है मुझे हंसने की।
पर इसका मतलब ये तो नहीं कि
रोना आता नहीं।
नारी हूं मैं सहना जानती हूं सब कुछ।
रोती नहीं सबके समक्ष....,
पर इसका मतलब ये तो नहीं कि
नेत्रों में अश्रु ही नहीं।
एक गुड़िया से मां बनती हूं मैं
नारी हूं मैं।
किसी के हाथों की कठपुतली तो नहीं।
क्यूं हर कोई ये कहकर तोड़ जाता है मुझे..
की नारी ही तो हैं फरिश्ता तो नहीं।
डर लगता है मुझे भी , जब
अभद्र शब्दों से पुकरी जाती हूं मैं।
नारी हूं मैं,
ना मै किसी खेल का दाव हूं,
ना ही किसी शिकारी का शिकार।
"कभी कभी तो सोचती हूं _कि क्या नारी
का अपमान करने वाले का जन्म
मेरी ही कोख से हुआ था या किसी जानवर से
जो उसने नारी का अपमान किया ,
क्या उसको पैदा करने वाली मां नारी नहीं थी?
जो उसके मुख से नारी के लिए ऐसे
शब्द निकले"
क्या हर दुर्योधन और दुशासन जैसे
पुत्रों को जन्म देने वाली मां की आंखों पर
गांधारी की जैसे पट्टी बंधी थी?
जो वह अपने पुत्रों को पहचान ना सकी।
नारी हूं मैं
माना कि हूं मैं प्रेम की देवी
इसका मतलब यह नहीं कि
नफरत करना जानती ही नहीं
नारी हूं मैं
वक्त आने पर मां काली मां दुर्गा हूं ,
प्रेम करने वालों के लिए राधा हूं मैं
नहीं तो दो धारी तलवार हूं मैं नारी हूं मैं!