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Aarti Prajapati

Romance

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Aarti Prajapati

Romance

ना जाने क्यूं

ना जाने क्यूं

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आज दिल में धुँआ सा उठा है,

उसने कुछ इस कदर आग लगाई है,


उसके लिए हमेशा अच्छा ही चाहा है,

पर ना जाने क्यूँ उसे बुरा ही लगता है,


हर पल उसे खुशी देना ही चाहा है,

पर ना जाने क्यूँ उसे बुरा ही लगता है,


हर पल उसको साथ देना ही चाहा है,

पर ना जाने क्यूँ उसे बुरा ही लगता है,


हर पल उसको हँसाना ही चाहा है,

पर ना जाने क्यूँ उसे बुरा ही लगता है,


हर पल उसको अपना ही माना है,

पर ना जाने क्यूँ उसे बुरा लगता है।


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