मुस्कुराते रहो
मुस्कुराते रहो
जीवन पथ पर कदम बढ़ाते रहो
कर्तव्य अपना निभाते रहो
मुश्किलें लाख आएं मगर
फूलों की तरह मुस्कुराते रहो।
लांघ विघ्न-बाधाओं के सागर
विजय पताका फहराते रहो
लाख शूल चुभें पावों में मगर
मंजिल की ओर कदम बढ़ाते रहो।
भूले-भटकों को राह दिखाते रहो
गिरतों को सदा उठाते रहो
मानव धर्म अपना निभाते रहो
फूलों की तरह मुस्कुराते रहो।
