मुस्कान
मुस्कान
होठों पर मुस्कान सजा
नए अरमान जगाए फिरते हैं
कोई कितना रोक ले हमकों
उम्मीद जगाए फिरते हैं।
दिल में दर्द हैं अथाह भरा
पर मुस्कान सजाये फिरते हैं
शांत चित्त सा रूप बना
हृदय में आग दबाये फिरते हैं।
सही गलत का ज्ञान नहीं बस
हुक्म अफजाही करते हैं
चाहे, जान न्यौछावर कर दे किसी पर
वो कदर ना करते हैं।
शब्दों का होता खेल यहाँ
सब कलम से लिखाई करते हैं
करना सके जो बराबरी
फिर सब उसकी बुराई करते हैं।