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Amit Kumar

Inspirational

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Amit Kumar

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मुसाफिर

मुसाफिर

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ऐ मुसाफिर चलता जा, तेरे राह ही तेरे कद्रदान हैं।

हर कदम ये सोच कर बढ़ा, किसी के लिए !

हर कदम ये सोच कर बढ़ा, किसी के लिए !

कि तेरे पदचिन्ह किसी राही पर मेहरबान हैं।


मुसाफिर हो मंजिल की तलाश न कर,

भटके हुए राही जैसा व्यवहार न कर,

एक दिन मुकम्मल होगी तेरी ज़िन्दगी की जीत,

तू राह पर चलता जा, मंजिल की परवाह न कर।


कदम न डिगा, हौसला न हार, बेपरवाह हो जा,

चुनोतियों से न डर, हिम्मत न हार, बेपरवाह हो जा।

सफर ज़िन्दगी का हो या मंजिल की तलाश हो,

चलते रहना तेरा काम है, हिम्मत न हार, बेपरवाह हो जा।


तेरे बढ़े हुए कदम, वापिस नहीं लौटेंगे ऐ मुसाफिर।

इन रास्तों से ही तेरी पहचान है, ऐ मुसाफिर।

इन रास्तों को क्या पता थी, कि तू ऐसा होगा।

हज़ारों लोगों की ख्वाहिश बन बैठा है, ऐ मुसाफिर।


जब तक तू चलेगा कायनात तेरे साथ होगी।

हिम्मत हो, हौसला हो, परवाह तेरे साथ होगी,

ये रास्ते ही करेंगी तेरी परवरिश ताउम्र।

न सोच कि ताउम्र कोई तेरे साथ होगी।



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