मुलाकात
मुलाकात
कभी कहीं अगर वक्त से मुलाकात हो जाए
तो पूछूंगा उससे
की मैंने तो हमेशा तेरी कद्र की
फिर तूने मेरा साथ कभी क्यों नहीं दिया
कभी कहीं अगर सच्चाई से मुलाकात हो जाए
तो पूछूंगा उससे
की मैंने तो हमेशा तेरा हाथ थामे रखा
फिर भी क्यों मुझे ही हर समय सुबूत देना पड़ा
कभी कहीं अगर ईमानदारी से मुलाकात हो जाए
तो पूछूंगा उससे
की मैंने तो तुझे अपने भीतर समां लिया
फिर भी क्यों बेईमानो की राह आसान रही और
मुझे मुश्किलों का सामना करना पड़ा
कभी कहीं अगर सफलता से मुलाकात हो जाए
तो कहूंगा उससे
की चाहे जितनी भी कठिनाइयों का सामना करना पड़े
तूझे पाने की हर मुमकिन कोशिश करता रहूँगा