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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Abstract

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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

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मुक्तक

मुक्तक

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वो दिन भी क्या दिन थे,

नया जोश - नई उमंग, 

समय कटता था, प्रिय मित्रों के संग!

ऊँचे-ऊँचे हौसले, बड़े-बड़े सपने -बहुत याद आते हैं

कॉलेज वाले दिन, न था जीने का ढंग!


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