मुखौटा
मुखौटा
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मुस्कुराते हुए मुखौटे अक्सर
झूठ का सहारा लेते है
गिरगिट की फितरत है लोगो की
जब चाहे मुखौटा बदल लेते है ......
चेहरे पर मुखौटे लिए हुए
भीड़ में चल रहे है लोग
कौन अपना है कौन पराया
इन्ही सवालों का दिल पर हैं बोझ.....
इन मुखौटों वाले लोगो से डरती हूँ मैं
न जाने छेड़ दे ये कौन सा राग
हर मुखौटे के पीछे छिपे हैं
न जाने कितने गहरे राज .....
धीरे धीरे सिख रही हूँ मैं
इन मुखौटो को पड़ने का हुनर
अब छुपाये नहीं छुपती
इनका हुनर और औकात
इनके मुखौटे पर दिखती हैं
इनके दिल की हर बात......