मुझको इंतजार है तुम्हारे जवाब
मुझको इंतजार है तुम्हारे जवाब


माना कि तुम मुझको जानते हो,
मेरा नाम, मेरा काम - शहर को,
और मेरी सच्चाई को जानते हो,
और मालूम भी है यह सच कि,
हम दोनों का जन्म हुआ है,
इसी धरती और वतन में l
तुम भी पढ़े -लिखे हो,
मगर कुछ सवाल है,
जो आते हैं अक्सर,
मेरी जुबां - जेहन में,
नहीं चाहकर भी मैं,
पूछ रहा हूँ आज तुमसे l
क्या हम आज़ाद हैं,
क्या हम में कोई बुराई नहीं,
क्या सभी आबाद हैं यहाँ,
क्या अब
यहाँ नहीं हैं,
भुखमरी और बेरोजगारी,
देश की आजादी के बाद भी,
जी. आज़ाद हिंदुस्तान में l
हम पूछते हैं इंसान की जाति,
विश्वास करते हैं अंधविश्वासों पर,
बाँट रखा हैं खुद को मजहबों में,
सीख नहीं पाए हम आजादी के बाद,
मिलजुलकर जीना हम इंसान बनकर,
जान नहीं पाए उस लहू को हम,
जो बहता है सभी के रगों में,
क्योंकि मेरी तरह तुम भी,
एक हिंदुस्तानी और देशभक्त हो,
मुझको इंतजार हैं तुम्हारे जवाब काl