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मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract

4.5  

मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract

मुझे भूलकर

मुझे भूलकर

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वह जब से गया है, मुझे भूल कर के

मैं तब से ही हैराँ, हैराँ हुआ हूँ।

 वह जब से गया है, मुझे भूल कर के

 मैं तब से ही हैराँ, हैराँ हुआ हूँ।


तेरी चाहतों का, मंजर मिला है

मैं तब से ही ठहरा, ठहरा हुआ हूँ।

वह जब से गया है, मुझे तूल करके

 मैं तब से ही बहरा, बहरा हुआ हूँ।

वह जब से गया है, मुझे भूल कर के

 मैं तब से ही हैराँ, हैराँ हुआ हूँ।


 मेरा मुकद्दर, चला आगे आगे

 मोहब्बत तेरी फिर, क्यों ना जागे 

 वह जब से गया है, मुझे शूल कर के

 मैं तब से ही फ़ेरा फ़ेरा हुआ हूँ।

वह जब से गया है मुझे भूल कर के

 मैं तब से ही हैराँ हैराँ हुआ हूँ।


 कोशिशें हम थे करते, वह भी जो करते

 मंजर बदलते, तब भी ना डरते

 वह जब से गया है, मुझे धूल करके

 मैं तब से ही गहरा, गहरा हुआ हूँ।

वह जब से गया है मुझे भूल कर के

 मैं तब से ही हैराँ, हैराँ हुआ हूँ।


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