मुझे बचाओ..
मुझे बचाओ..
मैंने समय दिया
मानव ने नष्ट किया
मैंने प्रेम दिया
मानव ने तिरस्कार किया
मैंने उर्जा दी
मानव ने दहन किया
मैंने इच्छा दी
मानव ने लोभ किया
मैंने सृष्टि संवारी
मानव ने उद्दंड किया
मैंने राह दिखाई
मानव पथभ्रष्ट हुुआ
मैंने परिणाम दिया
मानव ने उपहास किया
मैंने उत्तर दिया
मानव ने ग़ुलाम किया
मैंने बचाया
मानव ने क्षय किया
मैंने अनंत विनती की
मानव ने कृपा न की
अब समय ने पलटा खाया है
मानव स्वयं रोता आया है
मानव को मैंने रूलाया है
तब उसको समझ में आया है
उसने मुझे बचाया है
अब मैंने उक्ति लगाई है
स्वयं के साथ ही
मानव को भी सीख सिखलाई है
मानव के उपहास का
यहीं स्पष्ट उत्तर है
उसकी करतूतों के कारण
सबके मुख पर बंधन आया है।