मतलब
मतलब
जाने अनजाने रिश्तों के मध्य खड़ा नज़र मैं आता हूँ,
मैं मतलब हूँ बेमतलब लोगों के साथ कभी जुड़ जाता हूँ,
कभी मैं आता काम बड़े कभी किसी मोल न भाता हूँ,
थाली के बैगन सा मैं जिधर वजन मुड़ जाता हूँ,
सीख मिली हो जितनी भी चक्कर में पड़ जाते हैं,
अक्सर मैं जब लोगों की सोहबत में घुल जाता हूँ।
