।।मर्यादा।।
।।मर्यादा।।
मर्यादा का अर्थ तुम समझो।
मर्यादा बिन जीवन गर्त तुम समझो।
संस्कारों पर निहित समाज यही है।
समाज के प्यार की रीति यही है।
मर्यादा विहीन जीवन कैसा
पात बिहीन हो पीपल जैसा।
मर्यादा ही संस्कार सिखाती।
सबको आदर सम्मान दिलाती।
मर्यादाओं से प्यार जहाॅ॑ होता है।
खुशहाली का मार्ग वहीं होता है।
खुशियों के फूल वहाॅ॑ खिलते हैं।
खुशबू से आॅ॑गन वहीं महकते हैं।
सबकी अपनी अपनी मर्यादा है।
प्रेम प्रीती की सबकी यही अदा है।
मर्यादा समाज को खुशहाल बनाती है।
आपस में सबको प्यार सिखाती है।
मर्यादा से ही समाज सुंदर बनता है।
संस्कारों का प्यारा बन्धन बनता है।
कभी न मर्यादा का बन्धन तोड़ो।
इससे करो प्यार मत मुॅ॑ह को मोड़ो।