मृत्यु
मृत्यु
जीवन को कफन में लिपटा के
अविरल मौन की शरण में,
चिरलीनता की ओर ले जाती है
मृत्यु
जन्म जिसने लिया उसको
अवश्य ही आती है
मृत्यु
श्वासों के आवेग को,
थमने का राग सुनाती है
मृत्यु
जीवन संगीत का अंतिम
चरण बिंदु कहलाती है
मृत्यु
काया को नश्वरता के भान से
अवगत कराती है
मृत्यु
प्राणी-रुप में रहकर किए गए
हर कर्म के हिसाब-किताब का
खाता तुडवाती है
मृत्यु
कायरों को डर का आभास दिलाती है
मृत्यु
शूरवीरों का श्रंगार-तिलक बन जाती है
मृत्यु
जिस्म को जान से जुदा कर जाती है
मृत्यु
केवल और केवल देह को आती है
मृत्यु
क्या ? कभी सुना है।
आत्मा को भी कभी
छू तक पाती हो
मृत्यु
विराट अखण्डता का नाम है
मृत्यु
अजय ,अमर, अविनाशी
आत्मा का #ईश समागम
आधार बन जाती है
मृत्यु।
