मृत्यु : जीवन का सत्य
मृत्यु : जीवन का सत्य
एक दिन ऐसा भी आएगा,,
जब सवेरा होगा और
हम उस दिन जागेंगे नहीं..
देखिएगा, अचानक से ही
इस जहां को हमसे प्यार हो जायेगा तब..
जब हम कुछ बोलेंगे नहीं।
खामोश लेटे होंगे हम,
आस पास न जाने क्यूं इतने लोग आजाएंगे..
जिनको कभी लगाव ही न था हमसे।
गम छा रहा होगा हवाओं में भी,
मेरे पंजर के इर्द गिर्द!!
अनजान होंगे हम इस आकस्मत बर्ताव से सबके..
जब तक चल फिर रहे थे तब तक कोई ख़ास लालसा न थी किसी को हमसे बात करने की..
जब मौन हो जायेंगे हम,,
वो निस्तब्धता भी आखिर सहन न कर पाएंगे सब ही !!
मृत्यु देखना आ ही जायेगी एक दिन गले लगाने,,
हम इसी मुस्कुराहट को लबों पर सजाए बैठे होंगे..
शरीर सहसा बेखबर होगा,
गम छा रहा होगा हवाओं में भी..
मेरे पंजर के इर्द गिर्द!!