मरम्मत की जरूरत है
मरम्मत की जरूरत है
मरम्मत की जरूरत है,
उन संकीर्ण विचारों को,
जो औरतों को जिंदगी जीने का ,
दायरा बतलाते हैं ,
जिनकी खुद की सोच में ,
झूठी मर्दानगी का जंग लगा हुआ है,
वो लोग ही औरतों की,
सोच को गलत ठहराते हैं,
खुद फैलाते हैं समाज में गंदगी ,
औरतों को चारदीवारी में ,
बंद रहने की सलाह दे जाते हैं,
इनकी आंखों में ,
नहीं होते शर्म के पर्दे ,
औरतों को कैसे रहना चाहिए ?
ये लोग सिखाते हैं ,
औरतों के लिए,
सौ बेड़ियां लगाने वालों तुम्हें,
किसी औरत ने शर्म लाज की बेड़ियां तोड़कर,
और मौत से लड़ कर इस दुनिया में लाई है,
झूठी मर्दानगी के दंभ में पता नहीं
लोग यह क्यों भूल जाते हैं ।
