मोतियों की माला
मोतियों की माला
माता -पिता क्या होते है,
ये माता-पिता बन के जाना हमनें,
क्या होती है नैतिकता की शिक्षा?
क्या होती हैं संस्कारो और भावनाओं की शिक्षा?
ये अब जाके समझ पाया हमनें...
जब हम मासूम बच्चे थे,हर चीज़ मे कच्चे थे,
बात -बात पर लड़ते थे,
क्या ,क्यों और कैसे ये सब न सोचते थे
माता-पिता का प्यार उनकी झाड़ को हवा मे उड़ाते फ़िरते थे।
कुछ परवाह नहीं 'बिंदास'खाया-पिया
पढ़ा-खेला और सोया बस यही काम करते थे।।
पर पल-पल हमकों सवांरा उन्होंने
जीवन की पहेलियों से अवगत कराया उन्होंने
एक परिपक्व, जिम्मेदार और हँसमुख इंसान बनाया उन्होंने।
आज हम खुद उस दौर पे खड़े है,
अपने माता -पिता के सिखाये हर पाठ को प्रेणना मान कर,
अपने बच्चों की परवरिश कर रहे है....
माता-पिता के त्याग और निःस्वार्थ प्रेम को अब समझ रहे है।
उनके दिए गए संस्कार अब सामने आ रहे है,
कितना धैर्य था उनके अंदर कितना धैर्य है हमारे अंदर
इस बात को सोच समझ कर थोड़ा मुस्कुरा रहे है।।
पिता से सीखा मैंने, चाहें जितन
ी मुसीबत हो,
टूटना नहीं है,एक हिम्मत रख कर आगे बढ़ना है,
कुछ नहीं मिलता - रो के दुखड़ा सुना के
हर किसी के आगे गाना गा के,
जीवन अपना है ख़ुशी और ग़म भी अपने है,
हर पल मुस्कुराना है,और अपने कर्तव्य को पूरा करना है।।
माँ ने सिखाया धैर्य की परिभाषा, क्या होता है परिवार?
क्या होती है परिवार की अभिलाषा?
कुछ करने से पहले खुद को उस जगह महसूस करो
फिर अगर दिल साथ दे तो जरूर करो।।
आज आभारी हूँ मैं उन संस्कारों की,
आज आभारी हूँ मैं उन नैतिक मूल्यों की,
आज आभारी हूँ मैं उन प्रेणना भारी बातों की,
आज यही सत्य है मेरी जिंदगी का
आज उन्हीं जीवन मूल्यों के आधार पर ,
अपना परिवार और बच्चे संभाल पा रही हूँ मैं।।
आज ये कविता लिखते-लिखते
आँखों से आंसू बहने लगे
दिल के जज़्बात उमड़ कर ,
कोरे कागज मे उतरने लगे...
आँखों के आगे पूरा एपिसोड सा चल पड़ा
एक माँ के अंदर की बेटी का दिल भी रो पड़ा।।
माँ -पापा आपकी याद मे ,आपके लिए
मेरी तरफ़ से छोटी सी भेंट।।