मोहब्बत
मोहब्बत
देखतें हैं अब क्या अंजाम होता है,
क्यूँकि इस बार हुई है इश्क़ इस सूखे पत्ते को
एक बहती हवा से।
आती है वो एक हवा के झोंके की तरह पर,
लौटने का वादा भी कर जाती।
माना सूरत और सिरत है कई इस महफिल में,
पर तू है आइने सी ,
खुद को ला कर तेरे सामने पढ़ने की कोशिश
करूँगा जो कुछ भी बाक़ी है मुझमें।
मैं कोशिश करूँगा छूने की हर जज़्बात तेरे दिल की ,
बस तुम वक्त बन जाना और मै एक लम्हा ,
मै तुझमें गुजर जाऊ और तू मुझमें गुजर जाना ।
आदत नहीं मुझे आज़माने की ,
बस एक तम्मना और खवाहिश है
तुझे ख़ुद में उतारने की।
यूँ तो मंगा बहुत है मैंने खुदा से,
क्यूँ ना आज तुझे तुझी से माँग लूँ।
तुम्हें खो दिया होता तो क़िस्सा
कब का ख़त्म हो जाता,
पर अब जो तुझे पाया है तो
यकीनन अब कहानी
थोरी लम्बी चलेगी
थोरी लम्बी चलेगी।

