अभी बाक़ी है
अभी बाक़ी है
जिस रास्ते से थी गुज़री आगें
उसके धुएँ अभी बाक़ी है
माना अभी चला हूँ थोरा सा
पर गहरे छाप कदम के मेरे
पीछे अभी बाक़ी है
ये माना मंज़िल दूर है
मेरी पर निशाँ
मेरे सोच और समझ के
दोनों अभी बाक़ी है
मैं ना समझ ही सही
पर कुछ तो हौसला अभी बाक़ी है
राही हूँ मचलना मेरा काम है
भले मंज़िल मिले ना मिले
पर फिर भी जितना चला हूँ
कुछ तो अंजाम मिलेगा
क्यूँकि उम्मीदों का सफ़र
अभी कुछ बाक़ी है।
