STORYMIRROR

Vikash Kumar

Romance

3  

Vikash Kumar

Romance

बस तेरे साथ

बस तेरे साथ

1 min
194

कुछ सुकून के पल गुज़ारने है उसके साथ 

ज़िंदगी का तो पता नहीं पर 

आख़िरी साँस से साँस मिलानी है उसके साथ 


कि साहब जन्नत तो नहीं देखीं 

ना देखा है हूर की परियों को 

पर हाँ कई बसंत देखने है 

सिर्फ़ और सिर्फ़ उसके साथ 


की जनाब धड़कन भी धड़कता है 

नब्ज और नस्लों के साथ 

बस अब धड़कन को वैसे भी धड़काना है 

उसकी मुस्कुराहट और हँसी के साथ 


यूँ तो ज़िंदगी जीनी है कई हसरतों के साथ 

पर बस अब ज़माने देखने है 

साथ चलते तेरे मेरे कदमों के साथ ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance