मोह माया
मोह माया
मोह ना जानूं ना समझूं माया
कौन अपना है कौन पराया
सब अपने हैं सब सपने हैं
बात यही तो सब कहते हैं
वक्त पर साथ देता नहीं हर कोई
बस दिलासा देकर चल देते हैं
साथ छोड़ देते हैं उस पल
जब रास्ते भी दर्द देते हैं
समझ तो आता ही नहीं
क्या है सच्चा क्या है माया
मोह में फंसकर ही तो सबने
तोड़ लिया है खुद से नाता
नाता खुद से खुद का हो तो
दुनिया से फिर क्या ही लेना
जो अपना है बस अपना है
बाकी जग से कैसी माया।