मनुष्य को तू कम कर दे
मनुष्य को तू कम कर दे
हे खुदा मनुष्य को तू कम कर दे
मेरी आँखों मे फिर तू खुशी भर दे
बहुत ज़्यादा में रोया हूं,
कहीं रातों से में नही सोया हूं,
भीगे हुए से नयन है,प्रभु मेरे,
मेरी प्रार्थना को अब तू सुन ले
हे ख़ुदा मनुष्य को तू कम कर दे
ये मनुष्य अपने स्वार्थ में बहुत गिरा है
हमारे कत्लों-आम से कभी ये न डरा है
हम जानवरों की ये दुआ क़बूल कर ले
हे ख़ुदा मनुष्य को तू कम कर दे
जितना भी ये मनुष्य आगे बढ़ा है,
वो हमारी लाशों पर चढ़कर बढ़ा है
हे ख़ुदा इनकी प्रगति को तू बंद कर दे
हमारी जिंदगी पर कुछ तो रहम कर दे
हे ख़ुदा मनुष्य को तू कम कर दे
गांव ख़त्म हो गये है,शहर बढ़ चले है
इससे हम भी आवारा मनचले हो चले है
इंसानों की भूख तो सिरसा का मुँह है
हे ख़ुदा इनके मुँह को तू बन्द कर दे
इंसानों की गति कुछ तो कम कर दे
हे ख़ुदा मनुष्य को तू कम कर दे
सबसे खतरनाक जानवर ये इंसान है
ये ख़त्म कर रहा,हमारा जहान है
हे ख़ुदा मनुष्य को तू थोड़ा सीधा कर दे
मनुष्य,अच्छे कम,बुरे बहुत ज़्यादा है
बुरे इंसानों की दोज़ख़ में जगह कर दे
हे ख़ुदा बुरे इंसानों का तू क़त्ल कर दे
हे ख़ुदा मनुष्य को तू कम कर दे
ये दुनिया फिऱ से ठीक हो जायेगी
फिऱ से राम-राज्य की महक आयेगी
गर इंसानों की जनसंख्या तू कम कर दे।