STORYMIRROR

Neelam Arora

Abstract

2  

Neelam Arora

Abstract

मन्नतों के धागे

मन्नतों के धागे

1 min
212

जाने कहाँ कहाँ बाँधे होंगे

मन्नतों के धागे।

जाने कितने दरों पर टेके होंगे

तेरे लिए माथे।

तेरे चेहरे पर हरदम

खिलती रहे मुस्कुराहट।

माँ बाप की अब भी है

बस यही चाहत ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract