मन्नत के धागे
मन्नत के धागे
मन्नत के धागे टूट भी जाये ,मन के धागे को न टूटने दो।
आसमां सूरज डूब भी जाये,मन के विश्वास को न टूटने दो।
मन्नत के धागे है बड़े नाजुक, बस हमारा विश्वास ढूंढते हैं,
ख्वाब खुशियाँ ख्वाहिशे, हर दुआ हमारी कबूल करते हैं।
मन्नत का एक धागा आज खुदा की चौखट पर बाँधा मैंने,
मन्नत के मंदिर मे मुरादें पूरी हो सबकी सजदा किया मैने
धरा के कण कण को आज बेबसी नाउम्मीदी ने घिर लिया ,
उम्मीदें कामयाब हो सभी मैने फ़िर मन्नत का बाँध लिया।
मुरादोंदो की अर्जिया लगाई मैने, खुदा से ये ही अरदास की ,
जिदंगानिया सभी की आबाद हो खुदा से ये ही अरदास की।।