मन मलिन न कर
मन मलिन न कर
मन को तू मलिन न कर,यूं दुखी न हो
क्रोध ,क्लेश, आवेश ,दुराग्रह
जानी दुश्मन,प्रतिद्वंदी घोर
देख जगह तेरे मन में
लगा लेते हैं डेरा
चौंकड़ी मार
धीरे धीरे
करते वार
बनाते अदृश्य घेरा-
तेरे हाव-भाव,तन-मन में
रहे न कुछ और-तेरे चारों ओर
भ्रमित हो जाती बुद्धि,बचते पूर्वाग्रह
मन को स्थिर कर,मलिन न कर,दुखी न हो
मन के रूप हज़ार ,रंग हज़ार,चुन ले जो चाहे
विकल्प है आगे तेरे ,है तेरा अधिकार,
चुन ले जो चाहे तू,है चुनौती तेरी
चुनौतियां सच्चाई जीवन की
एक चुनौती हर विकल्प
जीत हार तेरे हाथ
उस हद तक
जब तक है साथ
तेरा धैर्य ,तेरा संकल्प-
लौ जलती रहे समर्पण की
तेरे हिम्मत हौसले ही कसौटी तेरी
उतरना है खरा उस कसौटी पर हर बार
उम्मीदों के दियों से सजा ले तू अपनी राहें
इंद्रधनुषी रंगों से सजा ले तू दुनिया अपनी
क्रोध,क्लेश,आवेश दुराग्रह को न देना
अपने दिल में जगह किसी हाल में
पूर्वाग्रहों को मिटा ले धीरे धीरे-
बदग़ुमानियां का जंजाल
त्रासदी की जकड़
करेगी तुझे बेजान,बेहाल
गिले शिकवे भुला दे धीरे धीरे
नफ़रत की आंधी को किसी हाल में
अपने रिश्ते नातों पर हावी होने नहीं देना
कुंठित ,अवसादित न होने देना दुनिया अपनी!
