Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Aadya Bharti

Abstract

5.0  

Aadya Bharti

Abstract

मजदूर की कहानी उन्हीं की जुबान

मजदूर की कहानी उन्हीं की जुबान

2 mins
455


खुला आसमा उनकी छत, बिछोना उनकी धरती,

घास-फूस के झोपडी में सिमटी हैं उनकी हसती

वैसे तो वे करते हैं काम खेतो में बागानों में,

पर कड़ी धूप में आना पड़ता है सड़कों में, मैदानों में।


लहू उनका पसीना बन के माथे से टपकता है

मई की गर्मी में जब धूप से रिश्ता बनता है

अब मजदुर की कहानी उन्हीं के जुबानी

मेरा पसीना आपके जैसा खुश्बूदार तो नहीं।


पर फिर भी यह दावा है कि गंगा जल से कम

पवित्र नहीं, हर मुश्किल से लड़ना फितरत है मेरी,

पर पसीना बहाना जरूरत है मेरी

अपने पसीने की खता हूँ, मिट्टी को सोना बनाता हूँ

कड़ी धुप में भी चलता हूँ, इस आशा के साथ,

की मेरे पैरो के छाले, मेरे बच्चो को निवाले देंगे।


ढूँढो गे हमें जंहा, वंहा मिल ही जाएंगे,

काम निकला तो मंसूर है,

पर काम निकल गया तो नासूर है हम.

साल में एक दिन मेरी मेहनत के कसीदे पढ़े जाते है,

पर उसका क्या जब मेरे बच्चे बिना रोटी के भूखे सो जाते है ?


टूटी चप्पल, फटा पजामा, पर हर मजदूर के होते है अरमान,

मिल जाए जो अच्छी मजदूरी, तो छू ले हम आसमा.

अंत में, भूख से, गरीबी से, मजबूर हो गए,

छोड़ी कलम किताब तो हम मजदूर हो गए


मेहनत हमारी लाठी है, और मजबूत काठी है,

पर हां शौक से कोई मजदूर नहीं बनता,

हर मजदूर की एक कहानी हो जो अशिक्षा से,

भूख से, गरीबी से, मजबूरी से, लड़ते लड़ते बन जाती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract