मिलकर हम - मिटाएंगे तम
मिलकर हम - मिटाएंगे तम
आवाह्न सबको है अपने मुखिया का,आओ मिल के हम- मिटाएं तम,
एक सौ पैंतीस कोटि आर्य आर्यावर्त के, जब हैं साथ तो न है कुछ गम।
दो हजार बीस के अप्रैल माह की पांचवीं तिथि,एकता इतिहास बनाएगी,
इस दिन भारत की जब सब घड़ियां , शाम के समय जैसे ही नौ बजाएंगीं।
बत्तियां नौ मिनट बुझा देंगे हम और, हम सब मिल प्रकाश का पर्व मनाएंगे,
दीपक-मोमबत्ती या टार्च जलाकर,बता देंगे कि सब एकजुट और साथ हैं हम,
आवाह्न सबको है अपने मुखिया का,आओ मिल के हम -मिटाएं तम।
भिन्न हमारी पूजा -भाषा,और भले ही भिन्न पहनावा और हमारा खान-पान है,
भले क्षेत्र हमारे अलग-अलग हैं,पर अनेकता में एकता भारतीयों की पहचान है।
ज्यों सब देवों के तेज अंश मिले महिषासुर -वध हित,शक्ति का दुर्गा रूप महान है,
आपस में सौ और पांच लड़ेंगे पर, बाहरी दुश्मन को "वयम् पंचकाधिकम् शतम्"।
आवाह्न सबको है अपने मुखिया का, आओ मिल के हम - मिटाएं तम।
असुरों का वध करने की खातिर, प्रभु ने लिए इस पावन धरती पर अवतार,
निज प्रेम से करके संगठित सभी को, किया था सब दुष्टों का समूल संहार।
अभय किया अजेय से दैत्यों के भय से, किया बहु-समस्याओं का उपचार,
"कोरोना को हराना" है दूरी रखकर,सर्वहित में सारे निर्देशों को मानेंगे हम।
आवाह्न सबको है अपने मुखिया का,आओ मिल के हम -मिटाएं तम।
