मिलकर दीप जलाएंगे
मिलकर दीप जलाएंगे
अंधियारा रह ना जाए धरा में
मिलकर दीप जलाएंगे
मन के अंधियारों को
ज्ञान प्रकाश पुंज से
मिलकर दूर भगाएंगे
हम मिलकर दीप जलाएंगे।
उल्लास की इस अखंड बेला को
अनंत ऊंचाइयां दे जाएंगे
मानव हित मे सदा कार्य कर
राम राज हम लाएंगे
हम मिलकर दीप जलाएंगे।
जात- पात, ऊंच- नीच, छुआ - छूत के आडंबरों को
सामाजिक कुरीतियों और समाज में फैली नफरतों को
आपसी सौहार्द और संकल्प शक्ति से
जड़ से हम मिटाएंगे,
हम मिलकर दीप जलाएंगे।
जो पथ भ्रष्ट होकर पथ से अपने
भूल उनको हम याद दिलाएंगे,
नई सोच नव प्रकाश में
सच्ची राह उनको दिखलाएंगे,
हम मिलकर दीप जलाएंगे।