मिलिए
मिलिए
कभी तो मेहरबान हो कर भी मिलिए।
मेरी जां मेरी जान होकर भी मिलिए।
ये क्या गैर जैसे गुज़र जाते अक्सर,
कभी मेरा अरमान होकर भी मिलिए।
बड़ी मुश्किलों में ये दिल मुब्तिला है,
ज़रा हमसे आसान होकर भी मिलिए।
समझदारियों से अदावत है होती,
मुहब्बत से नादान होकर भी मिलिए।
