Deepa Dingolia
Drama
ज़िन्दगी मेरी कितनी
बदरंग हुई
वजह से तेरी
आ
आज
सब कुछ
नजरे-अंदाज कर दूँ
सिर्फ, दोस्त ही
शामिल हों
महफ़िल में मेरी
ये भी
मुमकिन नहीं
तो ले
आज तुझे ही
मैं महफिले-खास
कर दूँ।
* उम्मीद *
तब्दीली
महफिले-खास
शामिल
झलक
मौसम की मार
आहट सी है
हकीकत
मोहब्बत
मुलाकात
उँचे गगन में उड़ान भरते हैं मौसम की तरह बदल जाते हैं। यह तो हर साल होता है पतझड़ के पंछी... उँचे गगन में उड़ान भरते हैं मौसम की तरह बदल जाते हैं। यह तो हर साल होत...
कर रही यथाशक्ति मैं निर्माण अपना, सत्य करना है जो देखा है सपना...! कर रही यथाशक्ति मैं निर्माण अपना, सत्य करना है जो देखा है सपना...!
कि चले जाओ वही जहाँ ये रूह-ए-एहसास, अब रहती नहीं। कि चले जाओ वही जहाँ ये रूह-ए-एहसास, अब रहती नहीं।
इन्हीं औरतों की नस्लें छीन लाती हैं तुम्हारे लिए इंद्रधनुष के सारे रंग। इन्हीं औरतों की नस्लें छीन लाती हैं तुम्हारे लिए इंद्रधनुष के सारे रंग।
छंदमुक्त कविता...! छंदमुक्त कविता...!
किसी को प्रेम लिप्त करा दे, और परलोक भिजवा देता पैसा। किसी को प्रेम लिप्त करा दे, और परलोक भिजवा देता पैसा।
मैं सही हूँ या नहीं, किसी को समझाना नहीं मुझे अपने “मैं” होने का, भरना नहीं ज़ुर्माना मुझे..। मैं सही हूँ या नहीं, किसी को समझाना नहीं मुझे अपने “मैं” होने का, भरना नहीं ...
हर बार दर्द सहकर मैंने तो यही सीखा, "मौत तू एक ख़ूबसूरत कविता है जिसे मैं रोज गुनगुनाऊँगी जब तक तू ... हर बार दर्द सहकर मैंने तो यही सीखा, "मौत तू एक ख़ूबसूरत कविता है जिसे मैं रोज ग...
सुना है आजकल ये भीड़ मे हमला करते हैं, टूट पड़ते हैं मासूम अबला पर, या शिकार करते हैं मासूम बच्चिय... सुना है आजकल ये भीड़ मे हमला करते हैं, टूट पड़ते हैं मासूम अबला पर, या शिकार क...
कई स्वर्णिम चतुर्भुज और बनाने, हाँ, अटल तुम फिर से आना...! कई स्वर्णिम चतुर्भुज और बनाने, हाँ, अटल तुम फिर से आना...!
मैं तुझे हार कर मेरी ऐ दोस्त, फिर कहीं दूर, बहुत दूर चला जाऊँगा...! मैं तुझे हार कर मेरी ऐ दोस्त, फिर कहीं दूर, बहुत दूर चला जाऊँगा...!
आत्मा हवस की धधकती चिताओं में सती हो जाती है। आत्मा हवस की धधकती चिताओं में सती हो जाती है।
नासमझ तो नहीं थी पर नसमझ ही बनी रहूँगी। नासमझ तो नहीं थी पर नसमझ ही बनी रहूँगी।
इस द्रौपदी की गिरधारी तक काहे ना पहुंचे पुकार है, इस द्रौपदी की गिरधारी तक काहे ना पहुंचे पुकार है,
जन्म जो मुझको लेना है तेरी कोख की जरुरत मुझको..! जन्म जो मुझको लेना है तेरी कोख की जरुरत मुझको..!
पराजिता निर्यातित होकर भी, पी जाती हूँ आंसुओं को, बांध लेती हूँ इच्छाओं को। पराजिता निर्यातित होकर भी, पी जाती हूँ आंसुओं को, बांध लेती हूँ इच्छाओं को।
खामोशी, कहने को तो महज अल्फ़ाज़ है, लेकिन इसका अर्थ कुछ और है, खुद में इतने सारे अल्फाजों को समेटे ह... खामोशी, कहने को तो महज अल्फ़ाज़ है, लेकिन इसका अर्थ कुछ और है, खुद में इतने सारे...
कभी तो ऐसा वक़्त आयेगा, जब मेरा हर एक पन्ना खुशियों से भरा, स्वर्णिम अक्षरों से लिखा ज... कभी तो ऐसा वक़्त आयेगा, जब मेरा हर एक पन्ना खुशियों से भरा, स्वर्ण...
ऐ मेरे मुल्क़ के अब फिर मिलेगी आज़ादी, ऐ मेरे मुल्क़ न कहना पड़े रोता क्यों है। ऐ मेरे मुल्क़ के अब फिर मिलेगी आज़ादी, ऐ मेरे मुल्क़ न कहना पड़े रोता क्यों है।
बड़ी भाती थी मुझे माँ और बच्चों की गतिविधियां जैसे मेरी जुड़ चुकी थी उनसे रिश्तेदारियां बड़ी भाती थी मुझे माँ और बच्चों की गतिविधियां जैसे मेरी जुड़ चुकी थी उनसे रिश्त...