महफिले-खास
महफिले-खास
ज़िन्दगी मेरी कितनी
बदरंग हुई
वजह से तेरी
आ
आज
सब कुछ
नजरे-अंदाज कर दूँ
सिर्फ, दोस्त ही
शामिल हों
महफ़िल में मेरी
ये भी
मुमकिन नहीं
तो ले
आज तुझे ही
मैं महफिले-खास
कर दूँ।
ज़िन्दगी मेरी कितनी
बदरंग हुई
वजह से तेरी
आ
आज
सब कुछ
नजरे-अंदाज कर दूँ
सिर्फ, दोस्त ही
शामिल हों
महफ़िल में मेरी
ये भी
मुमकिन नहीं
तो ले
आज तुझे ही
मैं महफिले-खास
कर दूँ।