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Deepa Dingolia

Others

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Deepa Dingolia

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आहट सी है

आहट सी है

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सूखी डाली में उन्माद जगा फिर 

नयी कपोलें फूट गयीं 


भूरी-भूरी पत्तियां सारी 

धम-धम जमीं पर गिर पड़ीं 


हरी कपोलें यूं इतरातीं 

इठरातीं मुँह खोले खड़ीं 


ओस पड़ रही मुँह पर इनके 

बनाव-श्रृंगार ये कर रहीं 


नया जीवन - नया रंग 

नये यौवन में झूम रहीं 


चटक रंगों से सज-धज गया सब 

चहूँ ओर श्रृंगार और 

भीना इत्र-अबीर


आहट सी है

आने के उसकी

चौखट सारी सज गयीं 

 

उमंग-तरंग से 

भरा नवजीवन 

अंगड़ाई नखरे कर रही 


अठखेली और उल्लास से 

करता स्वागत

ये सम्पूर्ण संसार

 

जय हो, जय हो,

पधारे हैं घर मोहे ऋतुराज।


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