महफिल
महफिल
महफिल सजी शराबियों की
सब जाम छलकातें हैं,
महफिल सजी यारो की
तो पुरानी यादें सुनते हैं,
महफिल सजी भक्तों कि
प्रभु की याद आती है,
महफिल सजी नेताओ की
बर्बादी की बात चलती है,
महफिल सजी चोरों की
तो कई घर लूट जाते हैं,
महफिल सजी संतो की
तो मन बदल जाते हैं,
महफिल सजी सज्जनों की
सभी अच्छे विचार आते हैं,
महफिल सजाना और बिगड़ना
यह स्वयं पर निर्भर करता है,
जिसकी जैसी नियत रहती
वैसी महफिल सजाता है।