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Vivek Tariyal

Classics Inspirational Others

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Vivek Tariyal

Classics Inspirational Others

महिमामयी भारत

महिमामयी भारत

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समस्त विश्व संसार जगत में, नव युग प्रणेता कौन है ?
कौन है वह विश्व शक्ति, जिसके समक्ष व्योम भी मौन है?
है त्याग क्षेत्र बसता जिसमें, हर नगर प्रेम पलता जिसमें
घर-घर आँगन द्वार सजे, हर बच्चा खुश हो हँसता जिसमें
जिसके हर एक निवासी की, कार्यकुशलता में भी महारत है
और कोई नहीं वह विश्व शक्ति, क्योंकि वह तो मेरा भारत है |

स्वर्णिम इतिहास रहा है इसका, बातें जिसकी जग करता है
सीता जैसी सतियाँ यहाँ, भाई के हित भाई मरता है
नहीं हुआ है लोप यहाँ, गंगा की पवित्र अवस्था का
अभी बाकी है तेज यहाँ, भगीरथ की कड़ी तपस्या का
हर मानव में बसता है शिव, जो करता विष-रसपान है
विश्वगुरु नहीं जग में दूजा, क्योंकि वह मेरा हिन्दुस्तान है ।

धोता सागर चरणों को जिसके, षट ऋतुएँ होती हैं जिसमें
आता बसंत हर साल जहाँ, होती हैं फसलों की किस्में
वसुधैव कुटुंबकम का मूल मंत्र, जिसने सबको सिखलाया है
गीता का भी ज्ञान दिया, रामायण से परिचित करवाया है
वीर शिवाजी, राणा प्रताप, पृथ्वीराज जिसकी संतान हैं
जिसने जन्मा महारानी लक्ष्मीबाई को, वह मेरा हिन्दुस्तान है ।

धूमिल होती आशाओं बीच, कहीं डूब न जाए मेरा वतन
दृष्टिगोचर मुझे अब होता है, आनेवाला भारत का पतन
यह जान लो, पहचान लो, ओ! कर्णधार इस देश के
रचने वाले समाज के, और अपने परिवेश के
जो तुम न बचाओगे समाज को, कहो कौन फिर आएगा ?
वह समय दूर नहीं जब, समस्त भारत गर्त में जाएगा |

नहीं बचेगा त्याग यहाँ, और हमारा स्वर्णिम इतिहास
बनकर रह जाएँगे जग में, एक हास्यास्पद सा उपहास
लिख दो आज नया इतिहास, आने वाले युग, देश का
दे दो नवीन विचार तुम, प्रगति के सन्देश का
दूर करो इस धरती से, द्वेष, अशांति और पाप को
दूर करो इस पावन धरा से, भ्रष्टाचार के शाप को
तब ही कह पाउँगा मैं, मुझे इस धरती पर अभिमान है
एक बार फिर से कहें, मेरा देश महान है, मेरा भारत महान है |


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