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आगाज़

आगाज़

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जननी है यह जन्मभूमि इसका प्रताप, इसका बल है

पाले हैं इसने वीर पूत, बहता गंगाजल कल-कल है ।

 

सम्पूर्ण जगत सम्मान करे, ऐसी मेरी भारत माँ है

मधुपर्क कराती शिशुओं की माँ जैसी मेरी भारत माँ है ।

 

भारत माता के भाल पर, बिंदी जो शोभा देती है

इसके नागरिकों की जिह्वा पर, हिंदी वह शोभा देती है ।

 

जननी तू है जन्मदात्री, तुझसे ही है मेरा स्वाभिमान

धन्य हुआ जन्म पाकर तुझपर, दिलाया तूने है सम्मान ।

 

ओ गौरवमयी देव स्वरूपा, तू है निर्मल धारा जैसी

देखीं हैं तूने सदियाँ, जन्मी हैं सभ्यताएँ कैसी-कैसी ।

 

तुझ पर ही है जन्म लिया, राणा, पृथ्वी और शिवाजी ने

लिया है तुझ पर जन्म, रज़िया और पन्ना जैसी दासी ने ।

 

जन्मभूमि में जन्म लिया, इसने हमको पाला पोसा

दी धूप-छाँव, दी नदी-नाव, करके हम पर बड़ा भरोसा ।

 

निज हित हमने इसके, संसाधनों का भी है ह्रास किया

कहो मनुज माँ हेतु तुमने, अब तक क्या है ख़ास किया ?

 

भानु-भास्कर, शशि-मयंक, साक्षी हैं स्वर्णिम इतिहास के

कालांतर की गतिविधियों के, सभ्यता में हुए विकास के ।

 

तेरा महिमामंडन करता, संपूर्ण जगत का कण-कण है

किन्तु आज बन चुका हर नगर-गाँव, महाभारत का रण है ।

 

एक समय वह भी था जब, भाई के हित भाई मरता था

प्रत्येक निवासी भारत का, बस सत्य आचरण करता था ।

 

सत्यहीन सी हुई धरा, अब पल-पल क्रंदन करती है

असभ्य हुई मानव जाति, भ्रष्टों का वंदन करती है ।

 

विश्वगुरु की पवित्र धरा पर, कूटनीति की हलचल है

अपनी इस परित्यक्त दशा पर, धरा भी रोती पल-पल है ।

 

कैसे सह सकता हूँ मैं, माँ पर होते इस अत्याचार को

नहीं दे सकता संपूर्ण देश, एक निरंकुश परिवार को ।

 

मूक-मौन मैं रहूँ खड़ा, यह संभव कैसे हो सकता है ?

मेरे रहते धरती पर भ्रष्टाचार, विजयी कैसे हो सकता है ?

 

आँच न आने दूंगा तुझ पर, हे जन्मभूमि यह प्रण है मेरा

तेरी खातिर है यह शरीर, रक्त का भी हर कण-कण है तेरा ।

 

समय आ गया है अब, रणभेरी व बिगुल बजाने का

समय आ गया है अब, जयगीतों को गाने का ।

 

समय आ गया है अब, शोषकों की धज्जियाँ उड़ाने का

समय आ गया है अब, माँ को जंजीरों से मुक्त कराने का ।

 

दूर करूँगा इस पवित्र धरा को, पाप के हर निशान से

रचूँगा भविष्य नए भारत का, अपने लहू से अपने प्राण से ।

 

ये प्रार्थना है मेरी उससे, जो साथ मेरा दे सकता हो

जो निर्भय होकर सत्य राह पर, संग मेरे चल सकता हो ।

हाथ उठाए वह, जिसे अपनी जन्मभूमि से प्यार हो

जिसके शरीर की धमनियों में, भारतीय रक्त का संचार हो ।

 

आगे आए वह, जिसे भारत माता से प्यार हो

आगे आए वह, जिसे भारत माता से प्यार हो ।


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