" महिला सशक्तिकरण की ओर अबला "
" महिला सशक्तिकरण की ओर अबला "
हर क्षेत्र में अग्रसर आज की नारी,
महिला सशक्तिकरण की ओर अबला,
जीवन हाय, तुम्हारी यही कहानी,
आंचल में हैं दूध, और आंखों में पानी॥
गुप्त जी लिखी उपरोक्त पंक्तियों!!
एकदम सटीक और दिल को छू,
नारी जीवन ही अजीब है,
आंचल में तो जिंदगी दूध है,
परंतु आंखों में वही आंसू है,
कितना अजीब नारी जीवन!
हर क्षेत्र में अग्रसर आज की नारी,
महिला सशक्तिकरण की ओर अबला,
जीवन हाय, तुम्हारी यही कहानी,
आंचल में हैं दूध, और आंखों में पानी॥
गुप्त जी लिखी उपरोक्त पंक्तियों!!
आज हालात सही सुधरे जरूर,
चारदीवारी कल तक घर की,
दहलीज बाहर घर की नारी ,
हुई सपने देख सकने के काबिल,
शिक्षा, नई राह और बदलते दृष्टिकोण,
नारी आज एक शक्ति रुप,
परिवेश बदल कंधे से कंधा मिला,
प्रगति की ओर अग्रसर,
गर्व और सराहना समाज की ,
राजनीति, टेक्नोलोजी, सुरक्षा समेत,
हर क्षेत्र में हाथ आजमाया,
कामयाबी ले जगह बनाई,
गृहलक्ष्मी रूप स्थान अलबेला।
हर क्षेत्र में अग्रसर आज की नारी,
महिला सशक्तिकरण की ओर अबला,
जीवन हाय, तुम्हारी यही कहानी,
आंचल में हैं दूध, और आंखों में पानी॥
गुप्त जी लिखी उपरोक्त पंक्तियों!!
विचारणीय सिक्के का दूसरा पहलू ,
दहलीज पार रेप या बलात्कार ,
आत्महत्या पर मजबूर समाज,
कन्या भ्रूण हत्या सामाजिक अवरोध।
हर क्षेत्र में अग्रसर आज की नारी,
महिला सशक्तिकरण की ओर अबला,
जीवन हाय, तुम्हारी यही कहानी,
आंचल में हैं दूध, और आंखों में पानी॥
गुप्त जी लिखी उपरोक्त पंक्तियों!!
आया दशक 1991 समय बदला,
शिक्षा क्रांति बेहतरीन बदलाव,
नया जीवन घर की दहलीज पार,
पुरुषों की बराबरी कंधे से कंधा मिला,
जो काम किया अमिट छाप छोड़ी।
हर क्षेत्र में अग्रसर आज की नारी,
महिला सशक्तिकरण की ओर अबला,
जीवन हाय, तुम्हारी यही कहानी,
आंचल में हैं दूध, और आंखों में पानी॥
गुप्त जी लिखी उपरोक्त पंक्तियों!!
पुरुषों वर्चस्व स्थान और महत्व मिला.
मिला हिस्सेदारी 33% से ज्यादा,
सहायक सिद्ध नकारात्मक परिदृश्य को।
हर क्षेत्र में अग्रसर आज की नारी,
महिला सशक्तिकरण की ओर अबला,
जीवन हाय, तुम्हारी यही कहानी,
आंचल में हैं दूध, और आंखों में पानी॥
गुप्त जी लिखी उपरोक्त पंक्तियों!!
पुरुष प्रधान हालात ऐसे नारी,
भोग-विलास साधन मनोरंजन,
झोली भरती पूंजीपतियों की,
विज्ञापनों, फिल्मों अश्लील रूप प्रदर्शित,
महिला आरक्षण जो शिक्षित या योग्य,
पर्दे के पीछे स्थिति वही की वही।
हर क्षेत्र में अग्रसर आज की नारी,
महिला सशक्तिकरण की ओर अबला,
जीवन हाय, तुम्हारी यही कहानी,
आंचल में हैं दूध, और आंखों में पानी॥
गुप्त जी लिखी उपरोक्त पंक्तियों!!
दहलीज पार व्यवहार नशे आजादी के,
सामाजिक कार्य कामयाबी अराजक बन,
बिगड़ता फैशन कम मर्यादाएं प्रमाण,
कोई फूलनदेवी कहीं सेक्स सिंबल,
कल्पना चावला सुनीता विलियम्स सरीखी नारियाँ भी दिखती।
हर क्षेत्र में अग्रसर आज की नारी,
महिला सशक्तिकरण की ओर अबला,
जीवन हाय, तुम्हारी यही कहानी,
आंचल में हैं दूध, और आंखों में पानी॥
गुप्त जी लिखी उपरोक्त पंक्तियों!!
ऐसी महिलाएं भी कम नहीं हैं,
फायदे देख कभी-कभार सिर्फ मनोरंजन,
गैर मर्दों से रिश्ता नहीं चूकती,
लिव-इन रिलेशनशिप की जड़ें मजबूत,
विवाहेत्तर संबंधों चलन बढ़,
तलाक के मामलों काफी इजाफा,
समस्याएं छोटी आकार बड़ी ।
हर क्षेत्र में अग्रसर आज की नारी,
महिला सशक्तिकरण की ओर अबला,
जीवन हाय, तुम्हारी यही कहानी,
आंचल में हैं दूध, और आंखों में पानी॥
गुप्त जी लिखी उपरोक्त पंक्तियों!!
नैतिक पतन की ओर बढ़,
पाश्चात्य संस्कृति की दोष गलत,
सब जिम्मेवार इस पतन की,
मानसिकता बदल नैतिकता की ओर,
कदम बढ़ा नए समाज की शुरुआत।
हर क्षेत्र में अग्रसर आज की नारी,
महिला सशक्तिकरण की ओर अबला,
जीवन हाय, तुम्हारी यही कहानी,
आंचल में हैं दूध, और आंखों में पानी॥
गुप्त जी लिखी उपरोक्त पंक्तियों!!
