महाराणा प्रताप
महाराणा प्रताप
मुख तेज जैसे सूर्य सा, प्रतिज्ञाबद्ध वो भीष्म सा !
पुजारी एकलिंग महाराज का, मूर्ति स्वाभिमान का !!
हिन्दू राष्ट्र का सपना लिए, भगवा जिसने बाँधा था..
घास की रोटी खा कर भी जो, अपनी आन संजोता था !
चेतक पर चढ़ जिसने, भाले से दुश्मन संहारे थे..
मातृभूमि की ख़ातिर जिसने, जंगल में कई साल गुज़ारे थे !
अदम्य साहस, शौर्य वीरता के प्रतीक वो..
राणा सांगा, बप्पा रावल के वंशज,
जयवंतानंदन, भारती माँ के लाल थे वो !
जिनकी एक हुँकार से, क्रूर अकबर भी कांपा था..
आर्यावर्त के स्वाभिमान वो, विश्व को क्षत्रिय धर्म बतलाया था !
मातृभूमि की रक्षा लक्ष्य, जिसने हर कष्ट अपनाया था..
यूँ नहीं मेवाड़ का वीर सपूत, महाराणा प्रताप कहलाया था !
