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Raja Bhagat

Tragedy

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Raja Bhagat

Tragedy

महामारी

महामारी

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रहे साल 1943 के,

पड़ल रहें आकाल,

स्थान रहें बंगाल।


रहे काल महा दुर्भिक्ष के,

होइ गईलन लाखो शिकार,

मलेरिया, हैजा और चेचक के।


हो गईल भूख कुपोषण आदि के शिकार,

बन गईल लोग काल के ग्रास,

अनुमान रहें पच्चीस-तीस लाख।


रहल न कोई राहत प्रबंध,

साया रहल सिर्फ युद्ध प्रचार के,

होईल न आपूर्ति खदान के,

जिम्मेदार ठेल देलस केंद्र प्रान्त के।


पर आज तो ख़र्च होइल सारा हथियार प,

चाहे वो अप्पाछे हो या शुखोई प,

केउ में न होई इलाज कोरोना के,

खाली हो गईल कोष सारा सरकार के।


आज पहुँचावल जाट बा,

घर घर शराब, राजस्व के नाम प,

न जाने कितना घर बर्बाद होइ,

न जाने कितना सरकार आबाद होइ।


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