न जाने कितना घर बर्बाद होइ, न जाने कितना सरकार आबाद होइ। न जाने कितना घर बर्बाद होइ, न जाने कितना सरकार आबाद होइ।
कौन जाने क्या तूफान है मेरे अंदर, एक अर्से से उठ रहा ये उफान है मेरे अंदर। कौन जाने क्या तूफान है मेरे अंदर, एक अर्से से उठ रहा ये उफान है मेरे अंदर।
पर इस रिश्ते के आगे सोने का ढेर भी महज़ पत्थरों की खदान होगा। पर इस रिश्ते के आगे सोने का ढेर भी महज़ पत्थरों की खदान होगा।
छोड़कर जाना पड़ेगा उसे क्योंकि यहाँ की धरती के अंदर काला हीरा है सरकार यहाँ खदान खोदेंगे खद... छोड़कर जाना पड़ेगा उसे क्योंकि यहाँ की धरती के अंदर काला हीरा है सरकार यह...
कोयले की खदान में काम करनेवाले मजदूर के दुख-त्रास, वेदना के बारे में आप क्या जानते है...? नहीं ना...... कोयले की खदान में काम करनेवाले मजदूर के दुख-त्रास, वेदना के बारे में आप क्या जान...