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Dipika Khaitan

Romance

4.0  

Dipika Khaitan

Romance

मगर अफसोस है

मगर अफसोस है

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मेरी रूह को छूकर जाने वाली हवाओं का एहसास हो तुम 

मगर अफसोस  कि उन हवाओं ने अब गुनगुनाना सीख लिया 


मेरे लड़खड़ाते हुए कदमों से तुम्हारी बाहों में गिरने तक का

सफर हो तुम 

मगर अफसोस उन कदमों ने संभलना सीख लिया 


मेरी खिलखिलाहट की वजह हो तुम 

मगर अफसोस  उस खिलखिलाहट ने अपनी

अंतरात्मा को ढूंढ लिया 


मेरी जुल्फों की अदाओं की दस्तक हो तुम 

मगर अफसोस  जुल्फों ने संवरना सीख लिया 


मेरे दिल के आशियाने के मेहमान हो तुम 

मगर अफसोस  दस्तक अनसुना करना सीख लिया 



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