STORYMIRROR

Sulakshana Mishra

Abstract

4  

Sulakshana Mishra

Abstract

मेरी माँ

मेरी माँ

1 min
318

कुछ भी मांग लो

वो कभी इनकार नही करती।

दिल इसका भी दुखता है

पर वो कभी मुझसे 

तकरार नही करती।


वो मेरी माँ ही है

जो मुझसे हमेशा

सिर्फ प्यार करती है।

नज़र बड़ी तेज़ इसकी

पर मेरी गलतियों को अक्सर

नज़रअंदाज़ करती है।


पर शायद वो

गणित में कमज़ोर है

क्यूंकि मेरी गलतियों का कभी

वो हिसाब नहीं रखती।


जुबाँ पे उसकी 

एक दुआ रहती है

रूठ भी जाती है

अगर वो कभी मुझसे

तब भी मुझे

अपनी बद्दुआओं में कभी

वो शुमार नही करती।


वो माँ है मेरी

जो कभी रिश्तों में

व्यापार नहीं करती।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract