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Pinky Dubey

Abstract Tragedy Classics

4  

Pinky Dubey

Abstract Tragedy Classics

मेरी माँ

मेरी माँ

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मेरी माँ ने जब से होश सबला

उनके माता पिता जब वोह चार साल की थी गुज़र गए

तब से दुःख ही दुःख देखा

मगर हार नही मानी

डटकर सामना किया

जब बड़ी हुई तोह शादी हुई

हर एक लड़की के जैसे मेरी माँ के भी बहुत सपने थे


मगर उनके पती ने वोह सपनो को तोड़ दिया

जोरू का गुलाम बनने के बदले वोह

अपनी माँ का लाडला बनना पसंद किया

फिर भी मेरी माँ ने हिम्मत नहीं हारी

क्युकी उनको विश्वास था आएगी

उनके पास एक नन्ही परी जो उनके दुःख को समझेंगी

जो होगी उनकी अपनी


बहुत दुआ और मनातो बाद आई ये परी

जिसके आने से वोह बहुत खुश थी

उसके लिए सारा दर्द वोह सेह लेती

सास के ताने

पंखे से खुद को ठंडी लगने पर अपनी नन्ही परी के लिए

वोह भी सेह लेती की वोह जग न जाए


उसको अच्छा पकवान पकाके देती

माँ तु क्यु है इतनी अच्छी

माँ मैं बहुत बुरी हूँ

मुझे माफ़ करना

मैं तुम्हे बहुत सताती हूँ

मगर माँ मैं तुम्से बहुत प्यार करती हूँ

मेरी माँ जो है सबसे अच्छी।


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