STORYMIRROR

Neetu Somani

Drama

3  

Neetu Somani

Drama

मेरी कलम

मेरी कलम

1 min
256

मेरी कलम मेरी पहचान

मेरा सच मेरा अभिमान


मेरी कलम ने मेरा वक्त बदलते देखा है

मेरी जिंदगी का सूरज ढलते,

और चाँद को संवरते देखा है


इसकी वफा है कि

कुछ लोग जानते है मुझे

वरना हमने तो अपनों को भी

अजनबी बनते देखा है।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Neetu Somani

Similar hindi poem from Drama