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Richa Baijal

Abstract

4  

Richa Baijal

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मेरी जान है तू

मेरी जान है तू

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मेरे जीवन की नयी सुबह है तू

खूबसूरत शाम और गुनगुनी

धूप का एहसास है तू 

मेरे जीवन में सबसे ख़ास है तू 


तू मेरा अंश मेरी पहचान बन कर आया था 

मातृत्व का मौसम मेरे जीवन में लाया था 

जब मैंने पहली बार तुझे

अपने आँचल में सुलाया था 


कांपते थे होंठ और लरजती थी सांसें 

तेरी अठखेलियों के वो एहसास सुहाने 

होंठों से मिलते होंठ , और तूने

"मम्मा" कहकर बुलाया था 


चंदा से भी खूबसूरत थी हंसी तेरी

वो प्यार जब जताया था 

ऊँगली पकड़कर मैंने फिर

तुझको चलना सिखाया था 

तेरे नन्हे पैरो ने एक और

माँ का उस दिन मान बढ़ाया था 


हर बात को समझता तू

हर ज़िद्द को कर जाता है 

तू मुझमें बचपना भर जाता है 

तुझे लेकर चलूँ मैं , संग तेरे उड़ूँ मैं 

एक बार फिर खुलकर मुस्कुराने लगी हूँ 

मैं अब ज़िन्दगी को आज़माने लगी हूँ 


मेरे जीवन की नयी सुबह है तू

खूबसूरत शाम और गुनगुनी धूप का एहसास है तू 

मेरे जीवन में सबसे ख़ास है तू।


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