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Mujeeb Khan

Romance Classics Inspirational

4  

Mujeeb Khan

Romance Classics Inspirational

मेरी हमसफर: मेरी हमनवाँ

मेरी हमसफर: मेरी हमनवाँ

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बिखरी बिखरी सी थी जिंदगी 

तूने उसे कुछ यूँ सवार दिया, 

जोड़ कर तिनका तिनका तूने 

एक घर संसार बना दिया l


बेसबब सी ज़िन्दगी को तूने एक मकसद बना दिया,

पथरीली राहों को तूने एक हसीं सफर बना दिया,

कैसे करूँ अहसान अदा ये तेरा 

 कर्ज़दार अपना तूने मुझे बना दिया


हारा कभी तो हिम्मत बनी,

रुका कभी तो हौंसला,

न झुकने दिया कभी,

हमेशा आगे बढ़ने का साहस दिया,


बेकार से पत्थर को तूने

एक चमकता हीरा बना दिया,

कैसे करूँ अहसान अदा ये तेरा 

कर्ज़दार अपना तूने मुझे बना दिया


हमसफ़र बन साथ चली,

कभी हमराज़ तो कभी हम साया 

थाम के हाथ ज़िन्दगी को मेरी तूने मुक्कमल बना दिया 

कैसे करूँ अहसान ये अदा तेरा 

कर्ज़दार अपना तूने मुझे बना दिया 


न पड़े धूप ग़मों की मुझ पर,

अपने प्यार का आँचल फैला दिया 

लड़ती रही अंधेरों से खुद,

ज़िन्दगी को मेरी रोशन तूने बना दिया 


बुझे बुझे से एक चराग को तूने

एक चमकता सितारा बना दिया 

कैसे करूँ अहसान अदा ये तेरा 

कर्ज़दार अपना तूने मुझे बना दिया


थामा हाथ कभी दोस्त बन कर तो

कभी माँ का सा दुलार दिया,

ढाल बनी कभी सावित्री बन कर तो कभी

दुर्गा बन मुश्किलों पर वार किया 

कैसे करूँ अहसान अदा ये तेरा 

कर्ज़दार अपना तूने मुझे बना दिया


रहेगा ये क़र्ज़ तेरा मुझ पर

जन्मों-जन्मों तक ए हमनवां 

अपना सब कुछ मान कर मुझ को 

सब कुछ अपना मुझ पर वार दिया 

कैसे करूँ अहसान अदा ये तेरा 

कर्ज़दार अपना तूने मुझे बना दिया।


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