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Ravi Raushan Kumar

Children

3  

Ravi Raushan Kumar

Children

मेरी दुलारी

मेरी दुलारी

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सब दुखों से अनजान 

अपनी ही दुनिया है उसकी, 

थिरकते पैरों की ढुलमुल चाल में 

गिरती-संभलती  

आत्मविश्वास से सराबोर 

उसकी आँखों में न ईर्ष्या, 

न द्वेष, न तेरा, न मेरा, 

उसकी बातों में अपनेपन की महक

उसकी हँसी में चिड़िया सी चहक

प्यारी सी मुस्कान पर भला कौन न ठहरे 

फुदकती है वह यहां से वहां, 

उस पर कैसे पहरे 

कौन कहता है बेटियाँ बोझ होती है?..... 2

उसके, बिना न जाने कैसे रोज (दिन) होती है। 

सुबह की ठंडी हवा 

तो रात की लोरी है वो 

सबसे प्यारी, मेरी दुलारी, 

लक्ष्मी-दुर्गा-शारदा-किशोरी है वो। 


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