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Ajay Rajpoot

Abstract

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Ajay Rajpoot

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मेरे वसंत का आगमन

मेरे वसंत का आगमन

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आज ये बदला बदला मौसम है

जैसे मेरे एहसास जागे है

लगता है आज मुझको

मानो मेरी प्रीत लौट आई है

शायद ये मेरे वसंत का आगमन है


ये फिजाएं ये घटाएं अलग है कुछ

मन में बेचैनी है जो आनंदित कर रही है

मेरी सांसों में बनकर ख़ुशबू

मेरा रोम रोम महक रहा है शायद

ये मेरे वसंत का आगमन है


मेरा वसंत मेरी सांसें है जो

ओढ़ लूं मैं उनकी बाहें

बनकर रूह वो मेरी

मेरे ख्वाब मेरे स्वप्न सजाए है

शायद


शायद नहीं

ये मेरे वसंत का ही आगमन है।


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