....मेरे तन्हाई की साथी....
....मेरे तन्हाई की साथी....
मेरे तन्हाई के साथी कैसे हो तुम
बहुत दिन बीत गई
यादों में आते हो तुम।
अक्सर मैं जब तन्हा रहने लगूं
गुफ्तगू तुमसे मैं करने लगूं
आए दिन बहुत चमकीले थी
मेरे जिंदगी की महफिल
बड़ी आबाद थी ।
अब जो सन्नाटा छाने लगी......
फिर याद तुम्हारी आने लगी।
मेरे तन्हाई की साथी .........
बड़ा मतलबी हूं मैं
तुमसे हर पल हर लम्हा
कुछ न कुछ पाने लगा
वफ़ा को भी तेरी न कद्र की
तेरी सीख को मैने नजरअंदाज की
उम्र ढलती चली वक्त बढ़ती चली
बचपन से लेके जवानी तक
तेरा साथ हरदम साए जैसी चली।
उम्मीद है मेरे हमसफर
ऐसे ही साथ चलना उम्रभर।
न उदासी है तुम में .....
न गुस्सा होते हो तुम
न बेचैनी है तुम में .....
न भावुक हो तुम
थकावट तो तुमसे कोसों दूर है......
सादगी और सुंदरता की मूरत हो तुम।
तुम ही तो सिखलाई खुदगर्ज होना मुझे
मेरे सर को कभी तुम ने न
झुकने दिया ....
हर हालातों से लड़ना सिखाई मुझे
मेरे वजूद को तुम ही तो जिंदा किया।
में न रहूं गर महफिल में तो .....
महफिल मेरी याद हरपल करे
ऐसी हौसला तुमने मेरे बुलंद किया।
मेरे तन्हाई की साथी......
तमन्ना है कंधों पे तेरे सर रख के
रोने लगूं मैं ज़रा ये नामुमकिन है।
आरज़ू है गले से लगा लूं तुम्हें ,
ये भी नामुमकिन है।
चाय का प्याला हर सुबह
तेरे साथ पी लूं
ये भी नामुमकिन है ...
यादों में अति हो हकीकत में नहीं
खयालों में आती हो सपनों में नहीं
आज तक तेरे शक्ल का नजराना न किया
फिर भी जिंदगी की हर तकलीफ को
तुम से बेपर्दा किया........
छुपाने की कोशिश करना चाहूं
गर आप बीती को अपनी
फिर भी तुमसे छुपती नहीं ......
मेरा साया बनकर तुम पल पल
चलती रहती हो कभी थकती नहीं।
मेरे तन्हाई की साथी........।
मेरे खत का जवाब जरूर देना
जिंदगी में ऐसे ही नसीहत देना
मेरी तन्हाई की साथी ...
कैसे हो तुम ।
