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Sudam charan Bisoyi

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Sudam charan Bisoyi

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.... मां....

.... मां....

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बेपनाह अगर कोई फिक्र कर रही है 

कोख में जो पनाह दस महीने दे रही है

कली को फूल बना के खिला सकती है वो मां ।

खुदा से भी ऊंची तेरी दर्जा है मां।

दुनिया मैं लाना और परवरिश करना 

उंगली पकड़ के चलना सिखाना,

उम्र की हर पड़ाव पे साथ देती जो निरंतर,

खुदा से भी तेरी दर्जा ऊंचा है मां।

आंचल है मां की सबसे महफूज जगह,

गोद में है चंदा की शीतलता,

पकवान जिसके है अमृत जैसे,

वो बचपन की यादें मैं भूल जाऊं कैसे

खुदा से भी ऊंची तेरी दर्जा है मां ।

पाश्चात्य हो या प्राचीन हो 

सभ्यता चाहे जो भी हो

ईसाई हो या सीख हो 

कौम चाहे जो भी हो

हर मजहब , युग और पुराण में

बाइबल ,गीता और कुरान में

मां तो बस मां है 

अद्वितीय और कोई नहीं 

मां के बिना खुदा नहीं 

सृष्टि की रचना संभव नहीं।

आज की पीढ़ी जाग लो।

वक्त से पहले खुद को सवार लो।

बूढ़े मां बाप को वृद्धा आश्रम भेजने वालों। 

खुद की बुढ़ापे में खुद की रवानी की तैयार कर लो।

खुदा से भी ऊंची तेरी दर्जा है मां।

मां के सम्मान में एक दिन काफी नहीं 

साल के हर दिन फिकर करो मां की 

पूरी जिंदगी भी अर्पण हो मां के चरणों में 

पूरी जिंदगी भी उसकी सेवा में काफी नहीं।

मां तेरी जैसी खुद खुदा भी नहीं ।


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