मेरे सपनों का भारत
मेरे सपनों का भारत
मेरे सपनों का भारत
बदल क्यूं गया
जिसको मिलकर संवारा
पिछड़ क्यूं गया..।
कहते थे जिसको
सोने की चिड़िया कभी
आज के दौर में
क्यूं सिमट सा गया..।
कुछ विरोधी लगाते हैं
नारे यहाँ
देश में रहकर उनको
ये क्या हो गया..।
एकजुटता हमारी
जो पहचान थी
मजहबी भेद से ये
बिखर क्यूं गया..।
मांगते हैं यहाँ
कुछ तो आजादी अब
उनकी नीयत को
न जाने क्या हो गया..।
अस्मिता देश की
दांव पर है लगी
देश के इन युवाओं
को क्या हो गया
देश के इन युवाओं
को क्या हो गया..