STORYMIRROR

मेरे पँखो में अभी जान बाकी है

मेरे पँखो में अभी जान बाकी है

1 min
26.5K


वो खूबसूरत सा लम्हा था,

जब तुम आये मेरी ज़िन्दगी में,

तेरे इश्क़ में यूँ डूबे की,

दिन कब ढल गया ये पता न चला।


इस दिल को तन्हा छोड़ कर,

आज जाने की ज़िद न करो,

ज़रा ठहरो तो सही,

के होने को अभी शाम बाकी है।


न चले जाना हमें छोड़ कर,

के यूँ ही अधूरे सफर में कभी,

के करनी है हमें तुमसे जो,

अभी बातें वो तमाम बाकी हैं।


इस शराब में भी वो दम कहाँ,

अभी तक तो मैं हूँ सचेत पूरे होश में,

कर जाए मुझे जो मदहोश,

तेरे लबों से पीने को वो जाम बाकी है।


ज़रा मशरूफ़ हो जाऊँ कभी तो,

तुम गलत न समझ लेना मुझे,

के करने को अभी ज़िन्दगी में,

हज़ारों काम बाकी हैं।


घायल परिन्दा हूँ मैं,

ज़ख्मों को भरने में थोड़ा वक़्त ही सही,

बेजान न समझ लेना मुझे,

मेरे पँखों में अभी जान बाकी है।


अभी तक तो यूँ ही चल रहा हूँ,

पैदल ज़िन्दगी के सफर में,

ज़माने को देखने को अभी,

मेरी ऊँची उड़ान बाकी है।


अभी बदनाम हूँ तो क्या,

मैं गुमनाम हूँ तो क्या,

थोड़ा इंतजार तो करो,

के मशहूर होने को,

अभी ये नाम बाकी है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama